बेटियाँ मासूम, गुनगुनाती गजल हैं
(कविता)
पता:
डॉ. राकेश चक्र
मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश)
बेटियाँ मासूम ,गुनगुनाती गजल हैं।
प्रेम का पावन सुहाना फूल कमल हैं ।।
देतीं प्यार इतना, ऑंखें भीग जाएँ ।
जीवन पवित्र कर दें ,वो गंगा का जल हैं।।
पर्व की पावन हवाएं, देख अमन-सी।
हैं सुखों की छाँव, आज,यही तो कल हैं।।
बचपना हो गोद लिये घूमें जहाँ में ।
बेटियाँ ही हर सुखों के मीठे पल हैं।।
बेटियाँ, बेटों से बढ़ ,करती दुआएँ।
हैं धरा-आकाश, चंदा का आँचल हैं।।
'चक्र' छाया की तरह सब बेटियाँ सारी।
हिम्मत,जोश,होसला भारत का बल हैं।।
पता:
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डॉ. राकेश चक्र
मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश)
-०-
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