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Thursday, 24 December 2020

हिंदी साहित्य (कविता) - गजानन पाण्डेय

हिंदी साहित्य
(आलेख)

कहा जाता है ' साहित्य, समाज का दर्पण है।' वस्तुतः यह सच है , लेखक के सृजन में व्यक्ति, समाज व देश  तीनों होते हैं, इसलिए लेखक पर समाज को दिशा देने का गुरुतर भार होता है। 

 साहित्य- लेखन में, मानवीय संवेदना, स्मृतियाँ व समाज के विभिन्न वर्गों के नैतिक व सामाजिक मूल्यों का काफी प्रभाव पड़ता है। 

मुंशी प्रेमचंद ने अपने साहित्य में ' व्यक्ति, समाज व देश, तीनों की समस्याओं का बडी गहराई  से अध्ययन किया है। '

  इनके अलावा उस समय के साहित्यकार रेणु,शरतचंद्र, टैगोर,निराला , महादेवी वर्मा, पंत , प्रसाद आदि ने ऐसा साहित्य रचा है , जो आज भी उतना ही प्रासंगिक है। 

  गोस्वामी तुलसीदास जी की कृति ' श्रीरामचरितमानस ' आज भी घर - घर गाया व पढा जाता है।  वह तो ग्यान, भक्ति, वैराग्य व सदाचार की शिक्षा देनेवाला आदर्श ग्रंथ है। 

 तत्कालीन समाज में, बाल - विवाह, सती प्रथा,छुआछूत, जात - पांत  व धर्मान्धता जैसी  अनेक बुराइयाँ थीं। 

  भारतेन्दु युग के निबंधकार बालकृष्ण भट्ट द्वारा संपादित  ' हिन्दी प्रदीप ' नामक मासिक पत्र  के प्रकाशन का उद्देश्य व्यक्ति में, राष्ट्र- प्रेम  व भारतीयता की भावना  को जागृत करना रहा है। 

    इसी प्रकार, राष्ट्र कवि  मैथिलीशरण गुप्त की रचना ' भारत- भारती '  तो  ' स्वतंत्रता  - संग्राम का घोषणा पत्र बन गया था ।

   इसमें कवि ने भारतीय संस्कृति की  गौरव- गाथा का जहां गुणगान किया है वहीं आज के समाज  के पतन के कारणों का  खुलकर वर्णन किया है।  जनता में  ' नव- जागरण ' के  पुनीत कर्तव्य का कवि ने भली - भांति निर्वाह किया है। 

 वे लिखते हैं  - ' हम कौन थे , क्या हो गये हैं  और 

                   क्या होंगे अभी, आओ विचारे , आज मिलकर, यह         समस्याएं  सभी ।'

   भारत ने विश्व को युद्ध नहीं, बुद्ध दिये हैं।  भारतीय संस्कृति व हिन्दी साहित्य में देश को जोड़ने वाली बातें हैं ।

      भारत में  विभिन्न धर्म, भाषा व जाति के लोगों को अपने ढंग से जीने का समान अधिकार है ।यही ' अनेकता में एकता  ' ही हमारी संस्कृति की विशेषता है। 

        अतः आज के समय में, सभी को देश - निर्माण के यज्ञ में खुले दिल से सहभागी बनना होगा।  इस कार्य में साहित्यकारों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होगी, इसमें दो मत नहीं है। 

    हमारी समृध्द व गौरवशाली संस्कृति से सारा विश्व जुडना चाहता है  , इस कार्य में हिन्दी सेतु का कार्य कर रही है। 

     आइये हम  सभी भारतीय अपने कर्तव्य- पथ पर चलते हुए विश्व  के सामने मिसाल पेश करें। 

-०- 
पता 
गजानन पाण्डेय
हैदराबाद (तेलंगाना)

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