मैं वह हूँ
(कविता)
मैं वो लड़की नहीं,
जो ख्वाबों में
बुनती हैं राजकुमार,
जो आएगा और
रानी बनाकर रखेगा,
मैं तो खुद से
महारानी बनने का
हौसला रखती हूं।
मैं वो बेटी नहीं,
जो भाई से
बराबरी करती हैं,
जो पापा से भाई के समान
अधिकार चाहती हैं,
मैं तो, पापा से
बेटे के कर्तव्य निभाने
का हक मांगती हूं।
मैं वो हूं,
जो आंखो में सपने लिए
जिंदगी के सफर
को जीना चाहती हैं,
कुछ अपनों के लिए
तो कुछ अपनी खुशी
के लिए करना चाहती है ।
-०-
पता:
No comments:
Post a Comment