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Wednesday, 26 August 2020

क्योंकि प्यारा हिंदुस्तान है (कविता) - दिनेश चंद्र प्रसाद 'दिनेश'

क्योंकि प्यारा हिंदुस्तान है
(कविता)
गीता प्यारी है ,बाइबिल प्यारा है
गुरुग्रंथ साहब  प्यारे हैं
प्यारा पाक कुरान है
क्योंकि प्यारा हिंदुस्तान है

हिंदू प्यारे हैं, मुस्लिम प्यारे हैं
सत श्री अकाल सिख  प्यारे हैं
प्यारे बौद्ध जैन और क्रिश्चियन हैं
क्योंकि प्यारा हिंदुस्तान है

धर्म प्यारा है ,मजहब प्यारा है
पूजा प्यारी है ,अरदास प्यारा है
प्यारा सबका अपना ईमान है
क्योंकि प्यारा हिंदुस्तान है

अल्लाह प्यारे हैं, गॉड प्यारे हैं
वाहेगुरु प्यारे हैं, प्यारे बुद्ध
महावीर और भगवान हैं
क्योंकि प्यारा हिंदुस्तान है

ईद प्यारा है क्रिसमस  प्यारा है
बैसाखी का त्यौहार प्यारा है
प्यारा दीपावली का दीप दान है
क्योंकि प्यारा हिंदुस्तान है

धरती प्यारी अम्बर प्यारा
नदियाँ प्यारी, जंगल प्यारे
प्यारा सारा नील गगन है
क्योंकि प्यारा हिंदुस्तान है

आप भी प्यारे, हम भी प्यारे
प्यारे प्यारे लोग हैं सारे
प्यारा सारा जहान है
क्योंकि प्यारा हिंदुस्तान है

बच्चे प्यारी, बीवी प्यारी
"दीनेश' प्यारे  प्यारे  मां-बाप है
इनकी सेवा करो यही तो भगवान है
क्योंकि प्यारा हिंदुस्तान है.
-०-
पता: 
दिनेश चंद्र प्रसाद 'दिनेश'
कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)
-०-



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पंख (कविता) - सोनिया सैनी

पंख
(कविता)
उड़ना चाहती हूं , बेखोफ
पापा पंख मुझे ला दो।

आगे बढ़ना चाहती हूं, बेखौफ
थोड़ा सा साहस मेरा बढ़ा दो।

 कोन सा है समाज,जो कहता
बेटी को छोड़, बेटे को अच्छा
पढ़ा दो।
तो ऐसे में , पापा
उन्हें समझा दो ,में भी हूं
आपके दिल का टुकड़ा
उन्हें अच्छे से बतला दो।

नहीं रुकुगी, नहीं थकुगी
बस ,आप पंख मुझे ला दो।
-०-
पता:
सोनिया सैनी
जयपुर (राजस्थान)

-०-


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नवजीवन (कविता) - प्रीति चौधरी 'मनोरमा'

नवजीवन
(कविता) 
नवजीवन उर को देता है प्रेम,
दुःख सारे हर लेता है प्रेम,
जीवन के इस रंगमंच का,
असली अभिनेता है प्रेम।

पवन है नवजीवन का स्त्रोत,
परहित के भाव से ओतप्रोत,
सबकी श्वांस चलती है पवन से,
जलती इससे ही जीवन ज्योति।

नवजीवन प्रदान करता है जल,
जल से सुरक्षित आज और कल,
जल है जीवन हेतु अपरिहार्य,
जल से ही जीवन शुभ मंगल।

सावन करता है नवजीवन प्रदान,
अलंकृत करता है समस्त जहान,
कलियों में रंग भरतीं नेह बूंदे,
बिन सावन सूना है उद्यान।

नवजीवन सदैव देती है माता,
ईश्वर सदृश वह भाग्य विधाता,
सृष्टि की निरंतरता नारी से,
अंतस में ममत्व सागर लहराता।

नवजीवन मात्र एक शब्द नहीं है,
जीवन का ध्येय, प्रारब्ध यही है,
नवजीवन में सृजनात्मकता है,
रचनात्मकता में उपलब्ध यही है।
-०-
पता
प्रीति चौधरी 'मनोरमा'
बुलन्दशहर (उत्तरप्रदेश)


-०-


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Tuesday, 25 August 2020

धरती का श्रंगार है वन (कविता) - राजेश कुमार शर्मा 'पुरोहित'


धरती का श्रंगार है वन
(कविता)
धरती का तापक्रम बढ़ रहा
पर्यावरण प्रदूषण बढ़ रहा
भूकम्प के झटके आ रहे
प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा
वृक्ष रोज कटते जा रहे
मिट्टी रोज कटती जा रही
पहाड़ों में रास्ते बन गए
जंगल धीरे धीरे कट गए
हर जगह विकास ऐसा हुआ
वानिकी दिवस घोषित हुआ
सब कारणों का उपाय खोजे
मिलकर फिर वृक्षारोपण करें
आओ वनों का संरक्षण करें
वन्य जीव जंतुओं का रक्षण करें
भारत के वनों की रक्षा करें
दक्षिण में केरल के वर्षा वन
उत्तर में लद्धाख के अल्पाइन
पश्चिम में धोरो वाला मरुस्थल
पूर्वोत्तर कर सदाबहार वन
शंकुधारी,सदाबहार,पर्णपाती
कांटेदार,मैंग्रोव वनों की रक्षा करें
वनों से प्राप्त उत्पादों की बात हो
वरना फर्नीचर,ईंधन कहाँ से पाओगे
फल,सुपारी,मसाले कहाँ लेने जाओगे
पेड़ों से आयुर्वेदिक औषधियां बनती
स्थाई उपचार कर सब रोगों को हर लेती
इसलिए कहते हैं भाई सुनों गौर से
पेड़ों को अधिक से अधिक लगाएं
मृदा अपरदन होने से बचायें
पेड़ हमें प्राणवायु देते हैं
बदले मे कार्बनडाई आक्साइड ग्रहण करते हैं
पृथ्वी के सुरक्षा कवच ये कहाते
जंगली जीवों को ये बचाते
सभी जीवों को सूर्य ताप से बचाते
धरती के तापक्रम को नियंत्रित रखते
वन प्रकाश का परावर्तन घटाते
ध्वनि को भी नियंत्रित करते
हवा की गति को कम करते
दिशा वायु की ये बदलते
पेड़ बड़े गुणकारी होते
पीपल,वट, नीम,आंवला,शमी
ये सब पेड़ सदा से पूजित होते
मोर,गिद्ध,गोडावण को बचाएं
धरती का श्रृंगार है वन सबको समझाएं
जन्मदिवस पर वृक्ष लगाने का संकल्प दिलाएँ
एक एक पेड़ लगाकर हम सभी
धरती माता को मिलकर सजाएं
-०-
राजेश कुमार शर्मा 'पुरोहित'
कवि,साहित्यकार
झालावाड़ (राजस्थान)

-०-


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मन का वृंदावन (कविता) - शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’

मन का वृंदावन
(कविता)
तन की बसी अयोध्या में है,
मन का वृंदावन |

सागर की नीलामी करता,
रोज समय का सूर्य,
सदा सूचना देता भू को,
बज कलरव का तूर्य,
सावन की हर धूप-छाँह का,
घन का वृंदावन |

आसमान की ऊँचाई का,
मिला नहीं परिणाम,
जेठ दुपहरी में पर्वत को,
भून रहा है घाम,
तड़पा खुशियों की मथुरा में,
जन का वृंदावन |

पौराणिक आख्यान, कथाएँ,
लोकव्यथा का गान,
भक्ति-भाव का रूप चिरंतन,
समता का सम्मान,
कृष्ण-राधिका की यह माटी,
वन का वृंदावन |

सत्संगों की समिधाओं का,
एक हवन का कुंड,
योग साधना का पद्मासन,
जनमानस का झुंड,
आस्थाओं की पूजाओं का,
अन का वृंदावन |
-०-
पता: 
शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’
मेरठ (उत्तरप्रदेश)
-०-


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