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Saturday, 29 August 2020

अब बेटा बड़ा हो गया है (कविता) - लक्ष्मी बाकेलाल यादव


अब बेटा बड़ा हो गया है
(कविता)
खेल-कूद भूलकर अब
 मोबाईल चलाने लगा है
हँसी-मजाक से परे अब
संजीदा रहने लगा है ,

माँ के आँसू झूठे लगते
बहन-भाई अब तीखे लगते
बीवी का कहना मानकर अब
अपना दिल बहलाने लगा है
अब बेटा बड़ा हो गया है ।

बाप की कमाई पर वह
अपना हक जताने लगा है
जरॆ-जरॆ हर चीज का अब
हिसाब वह रखने लगा है ,

जिनसे उसे पहचान मिली
उनको औकात बताने लगा है
ऊँगली पकड़ जिससे चलना सीखा
उसी को राह दिखाने लगा है

अपनों को पराया समझ अब
गैरों को अपनाने लगा है
सही-गलत की पहचान भूल अब
रिश्तों को दफनाने लगा है
क्योंकि अब बेटा बड़ा हो गया है ।
***
पता:
लक्ष्मी बाकेलाल यादव
सांगली (महाराष्ट्र)

-०-



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तू मेरी मैं तेरी थी (कविता) - रोशन कुमार झा

तू मेरी मैं तेरी थी
(कविता)
मैं रोशन यह ज़िन्दगी तेरी थी ,
तब ही अपना मानती थी , जब तू अकेली थी !
तू तो लुटी ही और तुम्हारी लुटने वाली सहेली थी ,
आज किसी और की हो गई यह तुम्हारी नहीं मेरी
क़िस्मत की फेरी थी !!

तब ही पूजा करने योग्य फूल तू चम्पा और चमेली थी ,
जब तू मेरी थी !
तुम्हारी जिन्दगी में किसी के आने की देरी थी ,
बदल गई तू , ऐसा कौन सा पहेली थी !!

तू मेरी मैं तेरी थी ,
कैसे भूलें वह दिन , जब तू मेरे साथ खेली थी !
सुन्दर रूप, सुन्दर चाल चलने वाली तुम्हारी एड़ी थी ,
छोड़कर चली गई, क्या इतने ही दिन की सफ़र मेरी थी !!

मेरी डांट फटकार सब झेली थी ,
कब ? जब तू अकेली थी !
छोड़कर जाना रहा ,यह सोच तेरी थी ,
तुम खुश हो न , फुटा क़िस्मत तो मेरी थी !!
-०-
रोशन कुमार झा
कोलकाता (पश्चिम बंगाल)

-०-



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धोखे पे धोखा (ग़ज़ल) - प्रशान्त 'प्रभंजन'

       

       धोखे पे धोखा
       (ग़ज़ल)
       किस्तों में खोता रहा
       जिंदगी   ढोता   रहा

       क़त्ल    हुए   अरमां
       रूह  भी  रोता  रहा

       मर  गई  जमीं  औ'
       फसल  बोता   रहा

       जल    रहा   आंगन
       घर  भी  सोता  रहा

       रोशनी  जाती   रही
       ख्वाब  संजोता रहा

       खुदी  मार  गंगा  को
       गुनाह   धोता     रहा

       धोखे पे धोखा मिला
       जुस्तजू  होता   रहा
       -०-
       पता:
       प्रशान्त 'प्रभंजन'
       कुशीनगर (उत्तरप्रदेश)
       
       -०-



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Thursday, 27 August 2020

भारत छोडो (कविता) - राम गोपाल राही


भारत छोडो
(कविता)
(9 अगस्त 1942)
काँग्रेस का नेतृत्व पाकर
राष्ट्र चेतना आयी थी |
अँग्रेजों का दम फूला था ,
देश ने ली अँगड़ाई थी ||

भारत छोड़ो आंदोलन का ,
कुछ ऐसा आगाज हुआ |
काँग्रेस महा अधिवेशन में ,
था प्रस्ताव पास हुआ ||

नौ अगस्त सन बियाँलीस को ,
देश में हलचल भारी थी |
गाँधी जी के नेतृत्व में ,
बोली जनता सारी थी ||

अँग्रेजों तुम भारत छोड़ो ,
हिन्दुस्तान हमारा है |
सोने की चिड़िया देश को ,
लूटा तुमने सारा है ||

तुम्हें भगा कर ही दम लेंगे ,
यह संकल्प हमारा है |
बाँधा  हमने कफन समझ लो ,
 यहाँ न हक  तुम्हारा है ||

व्यापारी बन बैठे शासक ,
कि तुमने गद्दारी है |
अपने देश में अपना शासन ,
हक की माँग हमारी है ||

उल्टी गिनती शुरू हो गई ,
अब तुम्हारे जाने की |
अधिपत्य  व राज छोड़कर ,
राज हमें संभलाने की ||

हाथ मशालें लेकर निकले ,
काँग्रेस जन सारे थे |
भारत छोड़ो आंदोलन में ,
राष्ट्र  एकता नारे थे ||

हाथ तिरंगा झंडा गीत ,
सभी बोलते जाते थे |
भारत माँ के जयकारों संग ,
आगे कदम बढ़ाते थे ||

अंग्रेजों ने दमन चक्र का
बिछा चहुँ  ही जाल दिया |
चौदह हजार  भारतीयों को
चहुँ जेल में डाल दिया ||

उग्र हो गया आंदोलन था ,
फैला विकट नजारा था |
बुलंद हौसले हाथकड़ी ,
जज्बा जोश नजारा था ||

नींद उड़ा दी अँग्रेजों की ,
आंदोलन ने हिला दिया |
भारत छोड़ो आंदोलन ने,
ऐतिहासिक काम किया ||

बलिदानों व संघर्षों  में -
 तन मन खूब लुटाया था |
कांग्रेस के सिवा अन्य दल ,
कोई साथ न  आया था ||
-०-
पता
रामगोपाल राही
बूंदी (राजस्थान)
-०-



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Wednesday, 26 August 2020

क्योंकि प्यारा हिंदुस्तान है (कविता) - दिनेश चंद्र प्रसाद 'दिनेश'

क्योंकि प्यारा हिंदुस्तान है
(कविता)
गीता प्यारी है ,बाइबिल प्यारा है
गुरुग्रंथ साहब  प्यारे हैं
प्यारा पाक कुरान है
क्योंकि प्यारा हिंदुस्तान है

हिंदू प्यारे हैं, मुस्लिम प्यारे हैं
सत श्री अकाल सिख  प्यारे हैं
प्यारे बौद्ध जैन और क्रिश्चियन हैं
क्योंकि प्यारा हिंदुस्तान है

धर्म प्यारा है ,मजहब प्यारा है
पूजा प्यारी है ,अरदास प्यारा है
प्यारा सबका अपना ईमान है
क्योंकि प्यारा हिंदुस्तान है

अल्लाह प्यारे हैं, गॉड प्यारे हैं
वाहेगुरु प्यारे हैं, प्यारे बुद्ध
महावीर और भगवान हैं
क्योंकि प्यारा हिंदुस्तान है

ईद प्यारा है क्रिसमस  प्यारा है
बैसाखी का त्यौहार प्यारा है
प्यारा दीपावली का दीप दान है
क्योंकि प्यारा हिंदुस्तान है

धरती प्यारी अम्बर प्यारा
नदियाँ प्यारी, जंगल प्यारे
प्यारा सारा नील गगन है
क्योंकि प्यारा हिंदुस्तान है

आप भी प्यारे, हम भी प्यारे
प्यारे प्यारे लोग हैं सारे
प्यारा सारा जहान है
क्योंकि प्यारा हिंदुस्तान है

बच्चे प्यारी, बीवी प्यारी
"दीनेश' प्यारे  प्यारे  मां-बाप है
इनकी सेवा करो यही तो भगवान है
क्योंकि प्यारा हिंदुस्तान है.
-०-
पता: 
दिनेश चंद्र प्रसाद 'दिनेश'
कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)
-०-



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