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Tuesday, 10 March 2020

पर्व रंगों का (गजल) - अख्तर अली शाह 'अनन्त'


पर्व रंगों का
(गजल)
होली के मौके पर
शेर....
होली में आजादी है दिल खोल के हम बोलें ।
लेकिन बहुत जरूरी है पर तोल के हम बोलें।।
****
गजल
नफरते सारे जमाने की मिटाएं आओ।
पर्व रंगों का, मोहब्बत से मनाएं आओ ।।
ःःःः
प्यार विश्वास वफा ,आस्था समर्पण के ।
भक्त प्रह्लाद को ,सीने से लगाएं आओ ।।
ःःःः
हों न बेशर्म ,न लूटवाएं न लूटें इज्जत ।
राम के देश की ,मर्यादा निभाए आओ ।।
ःःःः
वफा के रंग से, रंगीन बना दें दुनिया ।
रंग छूटे ना कभी ,ऐसा लगाए आओ ।।
ःःः
फाग फूटा है जिन्दगी में ,करें कुछ ऐसा ।
एक दूजे के लिये ,मर के दिखाएं आओ ।।
ःःः
भंग का रंग न ,भटका दे कहीं राहों से ।
अपने संबंधों को, सूली से बचाएं आओ।। -0-
अख्तर अली शाह 'अनन्त'
नीमच (मध्यप्रदेश)
-०-

***
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