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Tuesday, 10 March 2020

होली (दोहे) - ज्ञानप्रकाश 'पीयूष'


होली
(दोहे)
होली है उल्लास का, रंगों का त्योहार ।
भेदभाव को त्याग कर, कर लो पावन प्यार।।

रंग अबीर गुलाल से, खेलो होली मीत।
देओ खूब बधाइयाँ, हुई धर्म की जीत।।

प्रेम और सद्भाव का, होली का त्योहार।
सभी मिठाई बाँटते, देते हैं उपहार।।

इस पावन त्योहार पर, बजती चंग-धमाल
झूम-झूम कर नाचते, उड़ती खूब गुलाल।।

बाल-वृद्ध हैं सभी जन, मिलकर खेलेफाग।
होठों पर मुस्कान है, आँखों में अनुराग ।।

छोटा ना कोई बड़ा, खेले होली साथ।
दिल में बहुत उमंग है,रंगे हुए हैं हाथ।।

होली के त्योहार पर, उड़े अबीर गुलाल ।
रंगे हुए हैं प्रेम से , सब के मुख हैं लाल।।

चंग-नगाड़े बज रहे , करते खूब धमाल ।
भांग घोट कर पी रहे ,उठते नहीं सवाल ।।

खेलो होली प्यार की, मस्ती चढ़े अपार।
प्यार ,मोहब्बत, इश्क ही,जीवन का है सार।।

होलिका का दहन हुआ, हुई सत्य की जीत।
ईश्वर में प्रह्लाद की, बढ़ी सौ गुनी प्रीत।।

होली रानी दे गई, एक दिव्य उपहार।
बिन माँगे ही मिल गया, सभी जनों का प्यार।।
-०-
पता-
ज्ञानप्रकाश 'पीयूष'
सिरसा (हरियाणा)
-०-

***
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