(कविता)
देश को मत बर्बाद करो।
नफरत की आंधी रोको तुम।
धर्म को मत बदनाम करो।
प्रेम की गंगा बहाओ तुम।
जीवन में रंगों को भर दो तुम।
मत खून से खेलो होली तुम।
होली के रंगों से दिवाली की रंगोली सजदों तुम।
गीत अमन के गाओ तुम।
खुशियों के पुष्प बरसाओ तुम।
इन दहशतगर्दो को समझाओ तुम।
अरमानों पर चिता मत जलाओ तुम।
सब धर्मों के रंगों को इस होली पर मिलाओ तुम।
भारत मां की चुनरी को खूब सजाओ तुम।
ढोल,मंजीरे, शंख, सांग बजाओ तुम।
मिलकर खुशीयों के गीत गाओ तुम।
नफरत की दीवारों को ढहाओ तुम।
मत खून से खेलो होली तुम।
होली के रंगों को जीवन में भर दो तुम।
मत खून से खेलो होली तुम।-०-
डॉ. कान्ति लाल यादव
(सामाजिक कार्यकर्ता)-०-
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