बेटी
(लघुकथा)
कोरोना की मार मज़े लो होली में ।
करे पड़ोसन प्यार मज़े लो होली में ।।
सभी जगह है अफरातफरी मची हुई,
हिंसा है हथियार मज़े लो होली में ।
सच्चाई से दूर रहो,तब ही जीवन,
झूठ-कपट है सार मज़े लो होली में ।
रहो मूंछ नीचे करके तब खुशहाली,
बीवी से है हार मज़े लो होली में ।
जीवन में रौनक हो तब ही जय होवे,
साली है उपहार मज़े लो होली में ।
है खाली पॉकिट तो होगा दुख भाई,
पैसे का संसार मज़े लो होली में ।
घर की मुखिया है औरत यह मान भी लो,
बेलन की टंकार मज़े लो होली में।
नेता हो तो कुर्सी लो,तब यह पक्का,
जेलों के आसार मज़े लो होली में।-०-
बीवी से है हार मज़े लो होली में ।
जीवन में रौनक हो तब ही जय होवे,
साली है उपहार मज़े लो होली में ।
है खाली पॉकिट तो होगा दुख भाई,
पैसे का संसार मज़े लो होली में ।
घर की मुखिया है औरत यह मान भी लो,
बेलन की टंकार मज़े लो होली में।
नेता हो तो कुर्सी लो,तब यह पक्का,
जेलों के आसार मज़े लो होली में।-०-
प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे
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