हिंदी हमारी
(मुक्तक)
सच पूँछो तो जान है हिन्दी
मेरा तो अभिमान है हिन्दी
अम्बर भी छोटा पड़ जाता
इतनी बड़ी उड़ान है हिन्दी
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हिन्दी का विस्तार निरन्तर
बढ़ता है आकार निरन्तर
जीवन में जो भी पाया है
हिन्दी का उपकार निरन्तर
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हिन्दी है व्यवहार की भाषा
हिन्दी हो संसार की भाषा
दुनिया के व्यापारी कहते
हिन्दी है व्यापार की भाषा
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