साकी जाम में तेरी
साक़ी जाम में तेरे नशा वो नहीं,
जो नशा उन नशीली निग़ाहों में है।
दुनिया भर में हुनर क़त्ल का वो नहीं,
जो हुनर उनकी क़ातिल अदाओं में है।।
घूमा सारा ज़माना मज़ा वो नहीं,
जो मज़ा प्यार की उनकी राहों में है।
मिल सका न सुकूँ मेरे दिल को कहीं,
जो सुकूँ रघुवंशी उनकी बाहों में है।।
इस जहां में मुझे वो कशिश न मिली,
जो कशिश उनकी जुल्फों की छाव में है।
रघुवंशी ऐसी लड़की न देखी सुनी,
ये तो बस एक तस्व्वुर के गांव में है।।
-०-
No comments:
Post a Comment