आशाओं का दीप
(कविता)
निराशाओं के तम को मिटाकर
विश्वास का प्रकाश फैलायेंगे।
कोरोना के अंधकार को,
भारत भू से मिटायेंगे।।
एक " दीप " निवाले के नाम।
पेट आग को जलाने के काम।
एक "दीप "बेसहारे का।
डूबते को तिनके के सहारे का।।
एक " दीप " उस किनारे का।
जीवन की नाव फँसी मझधारे का।
एक दीप इंसानियत के नाम।
जन जन की खैरियत के नाम।।
एक "दीप " भगवान के नाम।
जिसने खुद किया खुदा का काम।
एक "दीप " उन करवीरों को।
इंसानियत के धर्मवीरो को।
एक "दीप " उस महापुरुष को।
बीसवीं सदी के युगपुरुष को।
समग्र देश माला में गूँथा,
ऐसे आज के उस पौरुष को।।
एक दीप उस देश समर्पित।
अखण्ड एकता को करते समर्थित।
एक दीप जन जन की आवाज।
"कोरोना" से जंग - ए - आगाज।
एक " दीप "जन-जन की वाणी का।
महासदी के इस युगवाणी का।।
एक "दीप " इस मानवता का।
चीन के अंत के उस दानवता का।
एक "दीप" जन गण मन का।
समाजसेवियों के परिजन का।
आओ मिल आवाज लगाएँ।
उम्मीदों का दीप जलाएं।
निराशाओं के घोर तिमिर को,
भारत भू से जड़ से मिटायें....
आओ मिलकर दीप जलाएं।।
-०-
पता -
प्रशान्त कुमार 'पी.के.'
हरदोई (उत्तर प्रदेश)
-०-
No comments:
Post a Comment