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Saturday, 14 November 2020

"शहीद आज भी जिन्दा हैं" (कविता) - मईनुदीन कोहरी 'नाचीज'


वीर चक्र ग्रेनेडियर रफ़ीक़ खान की शहादत को सलाम व श्रधांजलि

"शहीद आज भी जिन्दा हैं"
१४ नवंबर
(कविता)
सरहद पर शहीद होने वाले शहीदों को सलाम ।
रफ़ीक़ की शहादत से समाज आज भी जिन्दा है ।।

शहीदों की कुर्बानियों को हम भुला सकते नहीं ।
शहीद मरते नहीं वे तो आज भी जिन्दा हैं ।।

इतिहास भरा पड़ा है शहादत की कहानियों से ।
शहीदों की शहादत के किस्से आज भी जिन्दा है ।।

मरने को तो मरते हैं जो आए हैं दुनिया में ।
"रफ़ीक़ " जैसे हजारों शहीद आज भी जिन्दा हैं ।।

हंसते-हंसते फांसी के फन्दे पे झूले हैं शहीद ।
वतन पर मर मिटने वाले आज भी जिन्दा हैं ।।

वतन की राह में वतन पर कुर्बान होने वाले जाँबाज ।
वतन परस्त वतन के जाँबाज आज भी जिन्दा हैं ।।

धन्य है , शहीदों को जन्म देने वाली वो माँ ।
बेटों की शहादत से वो माँ आज भी जिन्दा है ।।

कौम व् वतन को नाज़ है "रफ़ीक़" की शहादत पर ।
ए "नाचीज़ " वतन पे जां लुटाने वाले आज भी जिन्दा हैं ।।
-०-

मईनुदीन कोहरी 'नाचीज'
मोहल्ला कोहरियांन, बीकानेर

-०-

***
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