वीर चक्र ग्रेनेडियर रफ़ीक़ खान की शहादत को सलाम व श्रधांजलि
"शहीद आज भी जिन्दा हैं"
१४ नवंबर
(कविता)
सरहद पर शहीद होने वाले शहीदों को सलाम ।रफ़ीक़ की शहादत से समाज आज भी जिन्दा है ।।
शहीदों की कुर्बानियों को हम भुला सकते नहीं ।
शहीद मरते नहीं वे तो आज भी जिन्दा हैं ।।
इतिहास भरा पड़ा है शहादत की कहानियों से ।
शहीदों की शहादत के किस्से आज भी जिन्दा है ।।
मरने को तो मरते हैं जो आए हैं दुनिया में ।
"रफ़ीक़ " जैसे हजारों शहीद आज भी जिन्दा हैं ।।
हंसते-हंसते फांसी के फन्दे पे झूले हैं शहीद ।
वतन पर मर मिटने वाले आज भी जिन्दा हैं ।।
वतन की राह में वतन पर कुर्बान होने वाले जाँबाज ।
वतन परस्त वतन के जाँबाज आज भी जिन्दा हैं ।।
धन्य है , शहीदों को जन्म देने वाली वो माँ ।
बेटों की शहादत से वो माँ आज भी जिन्दा है ।।
कौम व् वतन को नाज़ है "रफ़ीक़" की शहादत पर ।
ए "नाचीज़ " वतन पे जां लुटाने वाले आज भी जिन्दा हैं ।।
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