(कविता)
ज्ञान दीप की ज्योति से जो दिखलाए कर्तव्य मार्ग हमें
दे कर अमूल्य धन विद्या का बनाए सफल इंसान हमें
नित नए अपने यतन जतनो से देता सही पहचान हमें
तिथि विशेष है उस गुरुवर को देना है सम्मान हमें।
हर कर अज्ञानता का अंधेरा देता ज्ञान का प्रकाश हमें
कीचड़ के उस कमल की भांति पढ़ाया संघर्ष का पाठ हमें
नर से नारायण की कंटक राह में कराए सत्य का ज्ञान हमें
तिथि विशेष है उस दिव्य पुरुष को को देना है सम्मान हमें।
शिशु से शूरवीर की कल्पना में देता सही आधार हमें
नित संघर्षों की कठिन घड़ी में सिखाएं धैर्यता की आस हमें
मानवता की हद में रह कर देता मानवता का ज्ञान हमें
तिथि विशेष में उस गुरुवर का देना है सम्मान हमें।
देता थपकी अंतर्मन को मंझे कुम्हार सा सहलाए हमें
काट छांट कर इस माटी को देता नए योग्य आकार हमें
अंधकार में ज्योति बनकर सिखाएं नित नए आयाम हमें
तिथि विशेष है उस दिव्य पुरुष को को देना है सम्मान हमें।
चरण वंदना है उस गुरुवर को दिया सर्वहित का ज्ञान हमें।
शास्त्र शास्त्र के ज्ञान जिसने पहनाया शिखर का ताज हमें
त्याग कर अपने सभी हितों को दिया सर्वहित का ज्ञान हमें
तिथि विशेष है उस गुरुवर को देना है सम्मान हमें।
दे कर अमूल्य धन विद्या का बनाए सफल इंसान हमें
नित नए अपने यतन जतनो से देता सही पहचान हमें
तिथि विशेष है उस गुरुवर को देना है सम्मान हमें।
हर कर अज्ञानता का अंधेरा देता ज्ञान का प्रकाश हमें
कीचड़ के उस कमल की भांति पढ़ाया संघर्ष का पाठ हमें
नर से नारायण की कंटक राह में कराए सत्य का ज्ञान हमें
तिथि विशेष है उस दिव्य पुरुष को को देना है सम्मान हमें।
शिशु से शूरवीर की कल्पना में देता सही आधार हमें
नित संघर्षों की कठिन घड़ी में सिखाएं धैर्यता की आस हमें
मानवता की हद में रह कर देता मानवता का ज्ञान हमें
तिथि विशेष में उस गुरुवर का देना है सम्मान हमें।
देता थपकी अंतर्मन को मंझे कुम्हार सा सहलाए हमें
काट छांट कर इस माटी को देता नए योग्य आकार हमें
अंधकार में ज्योति बनकर सिखाएं नित नए आयाम हमें
तिथि विशेष है उस दिव्य पुरुष को को देना है सम्मान हमें।
चरण वंदना है उस गुरुवर को दिया सर्वहित का ज्ञान हमें।
शास्त्र शास्त्र के ज्ञान जिसने पहनाया शिखर का ताज हमें
त्याग कर अपने सभी हितों को दिया सर्वहित का ज्ञान हमें
तिथि विशेष है उस गुरुवर को देना है सम्मान हमें।
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