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Sunday, 26 January 2020

आह्वान (कविता) - अशोक 'आनन'




आह्वान
(कविता)
मिला है , न कुछ मिलेगा , तुम्हें देश बंद से ।
मौज़ूद हैं कुछ लोग आज भी जयचंद - से ।

उद्देश्य है बंद तो तुम ख़ून बंद करो ।
लूटमार , भ्रष्टाचार , तुम दहेज़ बंद करो ।
खंड - खंड करना चाहते हैं जो देश को -
सोचना ये उनका आज तुम बंद करो ।
बाग में तुम आज कुछ ऐसे फूल से खिलो -
महक उठे देश फिर केसरिया गंध - से ।

देश के विकास में आज अवरोध जो बना ।
पसरा है आज अंधेरा चहुंओर जो घना ।
दिनमान को उठाकर कंधों पर आज तुम -
साकार कर दो उजाले का तुम हर सपना ।

विश्व में आज तुम आदर्श कुछ ऐसे बनो -
सीख सारा विश्व सीखें आज फिर हिन्द से ।

जाति , भाषा भिन्न चाहे हमारा धर्म हो ।
प्रेम बसा हो जिसमें ऐसा हमारा मर्म हो ।
भला हो जिससे दुनिया में आज मानव का -
ऐसे ही हमारे दुनिया में नेक कर्म हों ।

एक साथ , एक सुर में , गाएं हम एक हैं -
पंजाब से , असम से , गाएं हम बंग से ।
-०-
पता:
अशोक 'आनन'
शाजापुर (म.प्र.)

-०-




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२६ जनवरी गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभाकामनाएं

७१ वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक बढ़ियाँ एवं शुभकामनाएँ 
सादर प्रणाम
प्रस्तुत हैं 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के अवसर पर सृजन महोत्सव पटल प्रकाशित रचनाएं। सभी रचनाकार और पाठक गणों का हार्दिक अभिनंदन और आभार। अपनी रचनाओं को अधिकाधिक साहित्यिक मित्रों व व्हाट्सएप्प ग्रुप में शेयर करें ताकि आपकी रचना अधिक पाठकों तक पहुंचे।धन्यवाद
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
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★★ एकता की पहचान ★★ (कविता) - अलका 'सोनी'
मेरा भारत महान (कविता) - एस के कपूर 'श्रीहंस'
भाईचारा (कविता) - डॉ . भावना नानजीभाई सावलिया
ए भारत तुझे प्रणाम (कविता) - दिनेश चंद्र प्रसाद 'द...
आओ एकता का डोर बुने (कविता) - संगीता ठाकुर (नेपाल)
भारत देश महान (कविता) - सुमन अग्रवाल "सागरिका"
! ग्रेसी ! (लघुकथा) - डॉ विनीता राहुरीकर
'भारत माँ की जय' (कविता) राजू चांदगुडे
संडे का खून (लघुकथा) - गोविंद भारद्वाज
“हम भारत के लोग” (कृति चर्चा) - संदीप सृजन
ज़रा याद करें (कविता) - राजीव डोगरा
ऐ मेरे मेहबूब वतन (गीत) - अख्तर अली शाह 'अनन्त'
गणतांत्रिक देश हमारा..... (कविता) - रामगोपाल राही...
!! मैं देश बदलने निकला हूँ !! (कविता) - अमन न्याती...
नया अभियान करें (राष्ट्रभक्ति बालगीत) - राजेंद्र श...
आये वतन पे खतरा (कविता) - रूपेश कुमार
हिंदुस्तान हमारा है (कविता) - अलका पाण्डेय
भारत माँ की जय (कविता) - विजयानंद विजय
हे...वीर (कविता) - गोविन्द सिंह चौहान
भारत की शान तिरंगा (कविता) -शुभा/रजनी शुक्ला
नन्ही कोशिश (कघुकथा) - डा. नीना छिब्बर
प्यारा वतन (कविता) - रश्मि लता मिश्रा
लिखूँ न लिखूँ (कविता) - सुशीला जोशी
आँख मेरी भर आती है (कविता) - अंजलि गोयल 'अंजू'
तिरंगा (कविता) - डॉ.नीलम खरे
राष्ट्रभक्ति (लघुकथा) - प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे
तिरंगे का मान बढाये (कविता) - सुनील कुमार माथुर
मेरा भारत महान (कविता) - एस के कपूर 'श्रीहंस'
गणतंत्र उबल रहा है (कविता) - श्रीमती सरिता सुराणा
सुभाषचन्द्र बोस (कविता) - अख्तर अली शाह 'अनन्त'
दास्तान भारत की (ग़ज़ल) - महावीर उत्तराँचली
सिर्फ लाल... (कविता) - रूपेश कुमार
आ गया गणतंत्र दिवस (कविता) - डॉ. प्रमोद सोनवानी
मिट्टी में मिल जानी है (कविता) - सरिता सरस
बलिदानी (कविता) - गोविन्द सिंह चौहान
वतन हमारा (कविता) - प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे

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★★ एकता की पहचान ★★ (कविता) - अलका 'सोनी'



★★ एकता की पहचान ★★
(कविता)
जन में, गण में, मन में बसे
कोटि -कोटि नमन में बसे
करती हूं वंदना मां भारती
तू हर हृदय और वर्ण में बसे।

मुश्किलों से पायी है आज़ादी
देकर कुर्बानियां आयी है आज़ादी
सांस तक मैं वार दूँ चरणों में तेरे
नई पहचान दिलायी है आज़ादी

हम सभी माँ भारती की संतान हैं
इस बात से फिर भी अनजान हैं
बढ़ रही है फूट जाने क्यों यहां
एकता ही रही जिसकी पहचान है।
-०-
अलका 'सोनी'
बर्नपुर- मधुपुर (झारखंड)

-०-

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मेरा भारत महान (कविता) - एस के कपूर 'श्रीहंस'



बस शिकायत नहीं..
(कविता)
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई,
एक संग नाम लेना है।

हैं एक देश की संतानें बस,
सभी को मान देना है।।

इतनी महोब्बत हो कि निशां,
नफरत का मिट जाये।
हम सब हैं भारत वासी बस,
यही पैगाम देना है।।

विश्व के शिखर पर हमें भारत
का नाम चाहिये।
चोटी पर लहराता तिरंगा
आलीशान चाहिये।।

हिये वही पुरातन विश्व गुरु
का दर्जा भारत को।

फिर वही सोने की चिड़िया
वाला हिंदुस्तान चाहिये।।

शत शत नमन उन शहीदों को
जो देश पर कुर्बान हो गये।

वतन के लिए होकर बलिदान
वह बस बे जुबान हो गये।।

उनके प्राणों की कीमत पर ही
सुरक्षित है देश हमारा।

वह जैसे जमीन ऊपर उठ कर
आसमान हो गये ।।

अम्बर के उस पार जा कर,
नया हिंदुस्तान बनाना है।

भारत के गौरव चंद्रयान से,
चाँद को छू कर आना है।।

अंतरिक्ष की उड़ान से सम्पूर्ण,
मानवता को देना है संदेश।

सम्पूर्ण विश्व में भारत को,
हमें महान कहलाना है।।
-०-
पता:
एस के कपूर 'श्रीहंस'
बरेली (उत्तरप्रदेश) 

-०-

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भाईचारा (कविता) - डॉ . भावना नानजीभाई सावलिया





भाईचारा
      (कविता)
विविधता में एकता ही
देश का प्यारा है नारा ,
विश्व बंधुत्व की भावना में है
हमारा न्यारा भाईचारा ।
जाति- पाँति, ऊँच-नीच,
धर्म-संप्रदाय का जहाँ नहीं बँटवारा ,
भावात्मक एकता में ही
अखण्ड भारत का है भाईचारा ।
देखो, देश की सरहद पर
आत्मीयता का सुन्दर मंदिर !
नहीं कोई अपना-पराया
वहाँ बेमिसाल है भाईचारा ।
अपनत्व का सम्बन्ध
संसार में है सबसे न्यारा ,
मानव जीवन की अनमोल
पूँजी है प्यारा भाईचारा !
छोटे-बड़े प्रसंगों को
उठाते हैं अपने कंधों पर ,
कर्त्तव्य-निष्ठा का धर्म
निभाता है जग में भाईचारा ।
संघर्षी झंझावात, दुश्मनों के
हमले के रक्षक हमारा ,
तन-मन से देश को
समर्पित है हमारा भाईचारा ।
प्रेम के बोल, उष्मा सा स्पर्श
करते हैं तन में रक्त संचार ,
सुख-दु:ख की जड़ी बूटी सा है
स्वस्थ जीवन भाईचारा ।
मंजिल प्राप्ति की सक्षम
आँख व पाँख का है जीवनाधार ,
टूटे मनोबल के हौसले की
उम्मीदें हैं भाईचारा ।
"कैसे हो दोस्त ! चिन्ता न करो,
हम साथ साथ हैं यार !"
सुन के पुलकित होता मन
जो जीवन उर्जा है भाईचारा ।
शिवमय कर्म,त्याग,समर्पण का
ताज है सिर पर ,
शौर्य,ऐक्य बंधुत्व का
नाज है भाईचारा ।
ईश्वर खजाने की है ज्योति,
पींड, रक्त एक ही प्रकार !
फिर भी क्यों उलझे दंगे-फसाद में
भूल के हम भाईचारा !!
-०-
पता:
डॉ . भावना नानजीभाई सावलिया
सौराष्ट्र (गुजरात)

-०-

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