*** हिंदी प्रचार-प्रसार एवं सभी रचनाकर्मियों को समर्पित 'सृजन महोत्सव' चिट्ठे पर आप सभी हिंदी प्रेमियों का हार्दिक-हार्दिक स्वागत !!! संपादक:राजकुमार जैन'राजन'- 9828219919 और मच्छिंद्र भिसे- 9730491952 ***

Saturday, 26 October 2019

जवाब (लघुकथा) - मीरा जैन

जवाब
(लघुकथा)
आज जैसे ही गुलाबो ने कमरे मे कदम रखा अचानक सामने अपनी मुख्या शब्बो
को देख घबरा गई वह अभिवादन करती उससे पूर्व ही शब्बो ने आँखें तररते हुए सवाल दागा-
' क्यों ! कहाँ से आ रही हो ?'
सवाल सुनते ही ठंड के मौसम मे भी गुलाबो के चेहरे पर पसीने की बूंदें छलछला आई उसे चुप देख शब्बो ने भड़कते हुए कहा -
' पिछले कई दिनों से तुम्हारी शिकायतें लगातार मेरे पास आ रही है तुम हमारे नियमों के विरुद्ध कार्य कर रही हो ऐसा नहीं चलेगा समझी, हम
किन्नर हैं सामान्य लोगों से कैसा मेल जोल, मैने सुना है पिछले साल डेढ़ साल से तुम लगातार सामने अनाथाश्रम मे जाकर घंटों व्यतीत करती
हो आज के बाद यहाँ से बाहर पैर निकाला तो तुम्हारी खैर नहीं है समझी '
अपना निर्णय सुना शब्बो जाने के लिए उठ खड़ी हुई तभी गुलाबो ने शब्बो का पैर पकड़ गुहार लगाई -
' आपके पैर पड़ती हूँ इतनी बड़ी सजा मुझे मत दीजिये '
इस पर शब्बो ने प्रश्न किया -
' अच्छा तो सच सच बता किससे क्या लफड़ा है ?'
आँखों मे आँसू लिए गुलाबो ने सिर्फ एक वाक्य मे जवाब दिया जिसे सुन शब्बो भी नि:शब्द हो गई जवाब था -
' उस आश्रम के सभी बच्चे मुझे माँ कहकर पुकारते हैं '
-०-
मीरा जैन
516,साँईनाथ कालोनी, सेठी नगर, उज्जैन (मध्यप्रदेश)


***
मुख्यपृष्ठ पर जाने के लिए चित्र पर क्लिक करें 

No comments:

Post a Comment

सृजन रचानाएँ

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ