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Saturday, 26 October 2019

विजया दशमी (मुक्तक कविता) - शुभा/रजनी शुक्ला

विजया दशमी 
(मुक्तक कविता)

राम जी 
पधारे अपनी
नगरीया सजी अयोध्या
लगे प्यारी
दुल्हनिया

रामजी
आए मारके
कुटिल दसानन रावण
सीता लौटीं
पी के
संग

सर्वत्र
फैली है
स्वर्ण दीप माला
नाचे प्रजा
प्रसन्नचित्त

असत्य
पे सत्य
की विजय का
हुआ सिंहनाद
आज

दशरथ
के पुत्र
कोशल्या के लाला
कैकेयी प्यारे
राम

चौदह
वर्ष बाद
वन से लौटे
लक्ष्मण और
सिया के
साथ

मात
कोसल्या
पग पखार रही
नैनन अश्रु
बहाय

पश्चाताप
मे जल
कर हो गयी
मात कैकेयी
राख

ढोल
मृदंग बाजे
खुशियाँ अपार साजे
राम सिया
मुस्काय.
-०-
शुभा/रजनी शुक्ला
कृष्ना पब्लिक स्कूल के पीछे 
म.नं. 291 / शरद शुक्ला 
कोपलवाणी छात्रावास के सामने 
आम बगीचा सुंदर नगर रायपुर (छत्तीसगढ)

-०-

***
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