चेहरे की हँसी
(ग़ज़ल)
चेहरे की हँसी नकाब-सी लगती है।
आँखें तेरी लाजवाब-सी लगती है।
तुम्हें पाने की जिद्द थी हमें ता-उम्र,
उछलती तरंग सैलाब-सी लगती है।
पलकों से बह रहे हैं अश्कों की बूंदे,
तेरे बिन जिन्दगी खराब-सी लगती है।
उलझी पहेली जिन्दगी की इसकदर,
जिन्दगी खाली किताब-सी लगती है।
वफा के बदले बेवफाई मिली हमें,
लिखे अल्फाज बेहिसाब-सी लगती है।
मन के बाग में अब खिल रही है कलियां,
धड़कन मिलने को बेताब-सी लगती है।
तुम मिल जाओ तो पा लिया सारा जहाँ,
दिल मिलना पंखुरी गुलाब सी लगती है।
-०-
चेहरे की हँसी नकाब-सी लगती है।
आँखें तेरी लाजवाब-सी लगती है।
तुम्हें पाने की जिद्द थी हमें ता-उम्र,
उछलती तरंग सैलाब-सी लगती है।
पलकों से बह रहे हैं अश्कों की बूंदे,
तेरे बिन जिन्दगी खराब-सी लगती है।
उलझी पहेली जिन्दगी की इसकदर,
जिन्दगी खाली किताब-सी लगती है।
वफा के बदले बेवफाई मिली हमें,
लिखे अल्फाज बेहिसाब-सी लगती है।
मन के बाग में अब खिल रही है कलियां,
धड़कन मिलने को बेताब-सी लगती है।
तुम मिल जाओ तो पा लिया सारा जहाँ,
दिल मिलना पंखुरी गुलाब सी लगती है।
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