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Saturday 26 October 2019

कहाँ गई वो पहले वाली दिवाली (नई कविता) - अनीता शर्मा अजमेर (राज.)

कहाँ गई वो पहले वाली दिवाली
(नई कविता)

कहाँ गई वो पाले वाली दिवाली
वो उमंगों की लड़ियाँ
वो उत्साह के पटाखे
वो तरंगों के दिये
वो महक पकवानों वाली
कहाँ गई वो पहले वाली दिवाली।

पहले
दिवाली के आने की आहट
हवाओं से मिल जाती थी
तैरारियाँ
महीनों पहले से शुरू हो जाती थीं
न त्यौहार तेरा था न मेरा
सब मिल जुल कर त्योहार त्यौहार मनाते थे
त्यौहार का अर्थ था
सिर्फ चहुं ओर खुशहाली
कहाँ गई वो पहले वाली दिवाली।

अब ना वो तरंग है
ना वो उमंग है
पर दिखावे के इतने रंग हैं
कि हर रंग ही बदरंग है।
क्या
हर रंग में घुल गयी
अमावस की रात काली
कहाँ गई वो पहले वाली दिवाली।
-0-
अनीता शर्मा
472 बी के कौल नगर अजमेर (राज.)


***
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