न रहेगा बाँस न बजेगी....
(लघुकथा)
व्याकरण के अध्यापक पंडित उमा शर्मा जी जैसे ही कक्षा में प्रवेश किये, विद्यार्थीगण चुप हो गए और सभी खड़े होकर दोपहर का अभिवादन ज्ञापन किया । सबको पता है कि गुरुवर व्याकरण के मामले में बहुत सख्त हैं। वैसे तो बहुत दयालु भी हैं, लेकिन कभी-कभी किसी एक विषय पर सही रिजल्ट जब तक नहीं निकलता तब तक बच्चों को नहीं छोड़ते हैं । इसलिए बच्चे अक्सर डरते रहते हैंकि आज गुरुवर क्या पढ़ाएंगे !अध्यापक कक्षा में प्रवेश करके बच्चों को अभिवादन करके बोलने लगे "क्या आप सभी जानते हैं कि हर मुहावरा अलग अलग भाव दर्शाता है? " सभी ने एक साथ जवाब दिया "हाँ, गुरु जी" । अध्यापक बोले, "जैसे -'मुंह के बल गिरना', 'दाल में कुछ काला है', 'नाच न जाने आँगन टेढ़ा', 'न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी'..........इत्यादि इत्यादि ।"
कुछ समय मौन रहकर अध्यापक जी फिर से बोलने लगे ," यहाँ जो मैंने बताया 'मुंह के बल गिरने' का मतलब है कि ठोकर खाकर औंधे मुँह गिरना। 'न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी' का अर्थ है मुसीबत को जड़ से खत्म करना । अब मैं आप सभी से पूछूँगा, एक एक वाक्य बताना । पहले अनीता तुम न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी का तात्पर्य बताओ ।" अनीता खड़ी होकर बोली , "न रहेगा बाँस अर्थात हमारे जीवन में आने वाली मुसीबतों को पहले ही दूर करें तो कभी भी मुसीबत नहीं आएगी, जैसे बाँसुरी नहीं बजेगी । इसलिए हमेशा हमें मुसीबत को जड़ से उखाड़ देना चाहिए ताकि हमारे जीवन में फिर न आने पाए ।" प्रतिम खड़े होकर बोलने लगा, "गुरुवर, कल भारतीय वायु सेना मिराज विमानों ने मुजफ्फरपुर, बालाकोट, चकोटी आदि के लाइफ ऑफ कंट्रोल में प्रवेश करके लगभग 350 आतंकवादी को मारकर हमारे मुसीबत को जड़ से उखाड़ दिया यानि न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी ।" अध्यापक हँस कर बोले, "वाह तुमने बहुत सुन्दर जवाब दिया है । दरअसल आतंकवाद मुंह के बल जरूर गिरा है, लेकिन जड़ से खत्म नहीं हुआ है । आतंकवाद असल में खत्म तभी होगा जब हर जनसाधारण उसके खिलाफ खड़ा होगा । आतंकवाद जैसे बाँस से तभी मृत्यु की धुन बजने वाली बाँसुरी नहीं बनेगी जब हम एक होकर उस बाँस को जड़ से उखाड़कर फेंकेंगे।" तभी दूसरी तरफ से कक्षा समाप्त होने की घंटी सुनाई दी । अध्यापक की बातें ध्यान देकर सुनने वाले बच्चों को जैसे किसी ने जगा दिया । अध्यापक ने कहा, "ठीक है बच्चों कल आप सभी 'न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी' मुहावरा को लेकर कुछ वाक्य लिखकर लाना ।" बच्चों ने हामी भरी और अध्यापक ने धन्यवाद कहकर कक्षा से प्रस्थान किया ।
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वाणी बरठाकुर 'विभा'
शोणितपुर (असम)
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