पट खोल सलौनी अंखियन के
(प्रभाती गीत)उठ जाग जरा नटखट झटपट ,
पट खोल सलौनी अंखियन के ।
विहंस उठे सब विहग वृंद ,
रवि किरण जगी , सोया है चंद्र ,
तरु पात जगे सब बगियन के
पट खोल सलौनी अंखियन के ।
बाल सखा सब द्वार खड़े ,
सब खेलन को तैयार खड़े ,
अब छोड़ संग तू निंदियन के ,
पट खोल सलौनी अंखियन के ।
दादा दादी हैं बुला रहे ,
भैया बहना मुख धुला रहे ,
चल झूल झूलना बहियन के ,
पट खोल सलौनी अंखियन के ।
तुम नई सुबह का गान सुनो ,
जनगणमन का गुणगान सुनो ,
सब द्वार खुले हैं गलियन के ,
पट खोल सलौनी अंखियन के ।
बहुत ही सुन्दर रचना अमृता जी
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