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Saturday, 26 October 2019

स्वप्न (गीत) - डॉ० धाराबल्लभ पांडेय 'आलोक'


स्वप्न
(गीत)
स्वप्न देखते हुए बढ़े चलो।
हौसले बुलंद कर चढ़े चलो।।

क्या हुआ जो, तुम सफल न हो सके?
क्या हुआ जो, सोचा तुम न पा सके?
देखो छोटी-छोटी, चींटियों को तुम।
फिसल-फिसल के, भी न जो पीछे हटे।
आज जो करना है, वो करते चलो।
हौसले बुलंद कर, चढ़े चलो ।।

बढ़े चलो, कर्तव्य पथ से मत हटो।
करते रहो, जो सोचा मन में मत रुको।
यह विचार दृढ़ हो, मन में धर सदा।
कर्म फल की आस, बिन नहीं रुको।
कर्म ही अधिकार है, किये चलो।
हौसले बुलंद कर, चढ़े चलो।।
-०-
डॉ० धाराबल्लभ पांडेय 'आलोक'
अध्यापक एवं लेखक
29, लक्ष्मी निवास, कर्नाटक पुरम, मकेड़ी, धारानौला चितई रोड, अल्मोड़ा, पिन- 263601,
उत्तराखंड, भारत।

***
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