दीप-वंदना
(कविता)
लिये रोशनी नेह की,दीपक पहरेदार ।
उजियारे की वंदना,करने को तैयार ।।
कितनी उजली हो गई,आज अमा की रात ।
संस्कार के आंगना,नाच रही सौगात ।।
सबके दिल उजले हुये,दूर सकल अँधियार ।
अपनेपन से हो रहा,देखो सबको प्यार ।।
दीपों की तो श्रंखला,पहुंची हर घर-व्दार ।
नया-नया लगने लगा,अब सारा संसार ।।
आये सचमुच पल मधुर,पुलकित है हर एक ।
अंतरमन उल्लासमय,लिये इरादे नेक ।।
दिल करने को लग गये,आपस में संवाद ।
नगर-डगर खुशियाँ सजीं,गांव हुये आबाद ।।
हर मुखड़े पर तेज है,करनी में उत्साह ।
हर कोई अब लग रहा,जैसे कोई शाह ।।
करुणा,ममता पल रही,सबके उच्च विचार ।
सबका ही तो दिख रहा,मीठा-सा आचार ।।
बजे नगाड़े हर्ष के,देखो अब इस पर्व ।
कोय नहीं जो ना करे,इस मंगल पर गर्व ।।
अभिनंदन आलोक का,स्वागत बारंबार ।
दीपों की मलिकाओं की,गूंज रही जयकार ।।
-०-
प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे
वर्तमान पता- आज़ाद वार्ड-चौक, मंडला(मप्र)-481661
स्थायी पता- ग्राम -प्राणपुर(चन्देरी),ज़िला-अशोकनगर, मप्र---473446
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