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Saturday, 26 October 2019

दीप-वंदना (कविता) - प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे


दीप-वंदना
(कविता)

लिये रोशनी नेह की,दीपक पहरेदार ।
उजियारे की वंदना,करने को तैयार ।।

कितनी उजली हो गई,आज अमा की रात ।
संस्कार के आंगना,नाच रही सौगात ।।

सबके दिल उजले हुये,दूर सकल अँधियार ।
अपनेपन से हो रहा,देखो सबको प्यार ।।

दीपों की तो श्रंखला,पहुंची हर घर-व्दार ।
नया-नया लगने लगा,अब सारा संसार ।।

आये सचमुच पल मधुर,पुलकित है हर एक ।
अंतरमन उल्लासमय,लिये इरादे नेक ।।

दिल करने को लग गये,आपस में संवाद ।
नगर-डगर खुशियाँ सजीं,गांव हुये आबाद ।।

हर मुखड़े पर तेज है,करनी में उत्साह ।
हर कोई अब लग रहा,जैसे कोई शाह ।।

करुणा,ममता पल रही,सबके उच्च विचार ।
सबका ही तो दिख रहा,मीठा-सा आचार ।।

बजे नगाड़े हर्ष के,देखो अब इस पर्व ।
कोय नहीं जो ना करे,इस मंगल पर गर्व ।।

अभिनंदन आलोक का,स्वागत बारंबार ।
दीपों की मलिकाओं की,गूंज रही जयकार ।।
-०-
प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे
वर्तमान पता- आज़ाद वार्ड-चौक, मंडला(मप्र)-481661
स्थायी पता- ग्राम -प्राणपुर(चन्देरी),ज़िला-अशोकनगर, मप्र---473446

-०-

***
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