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Saturday, 26 October 2019

माधुरी चुप रहती थी (पत्र) - दिलीप भाटिया

माधुरी चुप रहती थी
(पत्र)
माधुरी माहेश्वरि बेटी!
अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि! 
उन्नीस वर्ष पूर्व 15 अक्तूबर 2000 को तुम अनन्त यात्रा पर 23 वर्ष की अल्पायु में ही चली गई। तुम्हारे बिना दिलीप अन्कल बहुत उदास हैं। सीधी सात्विक सरल सी बेटी आज के कलुषित वातावरण में मिलना दुर्लभ है। तुम चुप रहती थी। परिवार के सदस्यों की निस्वार्थ सेवा, अन्याय का विरोध करना, हार नहीं मानना, सफलता के लिए अथक प्रयास करती रहना, मन की पीड़ा मात्र अपने प्रिय दिलीप अन्कल से ही शेयर करना, बाबा की सेवा, मम्मी की सहायता, पापा को सम्मान, भाई को प्यार, अपने नाम को सार्थक कर मधुर व्यवहार से अपने पराये हर एक के दिल जीत लेना, कर्तव्य निभाती रहना, अधिकार के लिए बोलना इत्यादि अनेक गुण मुझे तुमसे सीखने को मिले। भीगी पलकों से नमन एवं श्रद्धांजलि। माधुरी माहेश्वरि बेटी , मन अब भी रोता है। समय के साथ भी हम सब का घाव नहीं भरा है। तुम्हारी स्मृति में जब सरकारी स्कूलों की जरूरतमंद बेटियों को स्टेशनरि बिस्कुट वगैरह वितरण करने जाता हूँ, तब भी बहते अश्रु रोकने में
असमर्थ हो जाता हूँ। काश तुम जैसा सरल बन सकूँ तो जीवन सन्धया की शेष अवधि में तनाव का स्तर कुछ कम कर सकूंगा। बस बेटी अब लिखा नहीं जा रहा है। शेष विचार 5 फरवरी 2020 तुम्हारे जन्मदिन पर लिखने का प्रयास रहेगा।
अश्रुपूर्ण नमन एवं याद।
दिलीप अन्कल रावतभाटा राजस्थान।
-०-
दिलीप भाटिया
२३८, बालाजी नगर,
रावतभाटा - 323307 (राजस्थान)


***
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