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Saturday 26 October 2019

एक ग़ज़ल देश की मुहब्बत के नाम (ग़ज़ल) - श्रीमती पूनम शिंदे



एक ग़ज़ल देश की मुहब्बत के नाम
(ग़ज़ल)


करो तुम मुहब्बत वतन के लिए
जाँ भी देंगे कभी तो वतन के लिए
हो जरूरत अगर देश को यदि तेरी
पेश कर दे तू सर को वतन के लिये

इसकी अस्मत से खेले कभी गर कोई
इसकी रक्षा में हरदम रहो लैश तुम

मेरा पैग़ाम हर हिन्दू मुसलमा से है
आगे डटकर रहो देश की खातिर तुम

मशवरा एक है नौजवानों मेरा
तुम मुहब्बत करो देश पर तुम मरो

कर्ज़ सारा है हम पर पड़ा देश का
तुम उतारो इसे फ़र्ज़ पूरा करो

इसकी आँचल में पलकर हुए हो बड़े
आबरू का भी जिम्मा तुम्हीं पर ही है

दुश्मनों से बचाना है इस मुल्क को
देशभक्ति का जिम्मा तुम्हीं पर ही है

जब तलक है जवानी करेंगे वफ़ा
अब तिरंगे को लेकर बढ़ेंगे सदा

देश का है ये जन्नत सदा काश्मीर
इसकी वांदी में लहरे तिरंगा
-०-
श्रीमती पूनम दीपक शिंदे
मुंबई (महाराष्ट्र)

-०-

***
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